Hindi Poem of Ibne Insha “Kis ko par utara tum ne kis ko par utaroge”,”किस को पार उतारा तुम ने किस को पार उतारोगे” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

किस को पार उतारा तुम ने किस को पार उतारोगे

 Kis ko par utara tum ne kis ko par utaroge

किस को पार उतारा तुम ने किस को पार उतारोगे

मल्लाहो तुम परदेसी को बीच भँवर में मारोगे

मुँह देखे की मीठी बातें सुनते इतनी उम्र हुई

आँख से ओझल होते होते जी से हें बिसारोगे

आज तो हम को पागल कह लो पत्थर फेंको तंज़ करो

इश्क़ की बाज़ी खेल नहीं है खेलोगे तो हारोगे

अहल-ए-वफ़ा से तर्क-ए-ताल्लुक़ कर लो पर इक बात कहें

कल तुम इन को याद करोगे कल तुम इन्हें पुकारोगे

उन से हम से प्यार का रिश्ता ऐ दिल छोड़ो भूल चुको

वक़्त ने सब कुछ मेट दिया है अब क्या नक़्श उभारोगे

‘इंशा’ को किसी सोच में डूबे दर पर बैठे देर हुई

कब तक उस के बख़्त के बदल अपने बाल सँवारोगे

 

 

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