Hindi Poem of Ibne Insha “Raaz kaha tak raaz rahega manzar e aam pe ayega”,”राज़ कहाँ तक राज़ रहेगा मंज़र-ए-आम पे आएगा” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

राज़ कहाँ तक राज़ रहेगा मंज़र-ए-आम पे आएगा

 Raaz kaha tak raaz rahega manzar e aam pe ayega

राज़ कहाँ तक राज़ रहेगा मंज़र-ए-आम पे आएगा

जी का दाग़ उजागर हो कर सूरज को शरमाएगा

शहरों को वीरान करेगा अपनी आँच की तेज़ी से

वीरानों में मस्त अलबेले वहशी फूल खिलाएगा

हाँ यही शख़्स गुदाज़ और नाज़ुक होंटों पर मुस्कान लिए

ऐ दिल अपने हाथ लगाते पत्थर का बन जाएगा

दीदा ओ दिल ने दर्द की अपने बात भी की तो किस से की

वो तो दर्द का बानी ठहरा वो क्या दर्द बटाएगा

तेरा नूर ज़ुहूर सलामत इक दिन तुझ पर महा-ए-तमाम

चाँद नगर का रहने वाला चाँद नगर लिख जाएगा

 

 

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