Hindi Poem of Kaka Hasrati’“Khatmal Macchar Yudh, “खटमल-मच्छर-युद्ध ” Complete Poem for Class 10 and Class 12

खटमल-मच्छर-युद्ध – काका हाथरसी

Khatmal Macchar Yudh –Kaka Hasrati

‘काका’ वेटिंग रूम में फँसे देहरादून ।

 नींद न आई रात भर, मच्छर चूसें खून ॥

 मच्छर चूसें खून, देह घायल कर डाली ।

 हमें उड़ा ले ज़ाने की योजना बना ली ॥

 किंतु बच गए कैसे, यह बतलाएँ तुमको ।

 नीचे खटमल जी ने पकड़ रखा था हमको ॥

 हुई विकट रस्साकशी, थके नहीं रणधीर ।

 ऊपर मच्छर खींचते नीचे खटमल वीर ॥

 नीचे खटमल वीर, जान संकट में आई ।

 घिघियाए हम- “जै जै जै हनुमान गुसाईं ॥

 पंजाबी सरदार एक बोला चिल्लाके – |

त्व्हाणूँ पजन करना होवे तो करो बाहर जाके ॥

 

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