Hindi Poem of Pradeep “Khilona mati ka“ , “खिलौना माटी का” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

खिलौना माटी का

Khilona mati ka

तूने खूब रचा भगवान्

खिलौना माटी का

इसे कोई ना सका पहचान

खिलौना माटी का

वाह रे तेरा इंसान विधाता

इसका भेद समझ में ना आता

धरती से है इसका नाता

मगर हवा में किले बनाता

अपनी उलझन आप बढाता

होता खुद हैरान

खिलौना माटी का

तूने खूब रचा खूब गड़ा 

भगवान् खिलौना माटी का

कभी तो एकदम रिश्ता जोड़े

कभी अचानक ममता तोड़े

होके पराया मुखड़ा मोड़े

अपनों को मझधार में छोड़े

सूरज की खोज में इत उत दौड़े

कितना ये नादान

खिलौना माटी का

तूने खूब रचा खूब गड़ा 

भगवान् खिलौना माटी का

 

 

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