Hindi Poem of Sahir Ludhianvi “Dil jo na kah saka vahi raz e dil“ , “दिल जो न कह सका वही राज़-ए-दिल” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

दिल जो न कह सका वही राज़-ए-दिल

 Dil jo na kah saka vahi raz e dil

दिल जो ना कह सका

वोही राज़-ए-दिल कहने की रात आई

दिल जो ना कह सका

तौबा ये किस ने अंजुमन सजा के

टुकड़े किये हैं गुंच-ए-वफ़ा के

टुकड़े किये हैं गुंच-ए-वफ़ा के

उछालो गुलों के टुकड़े

के रंगीं फ़िज़ाओं में रहने की रात आई

दिल जो ना कह सका

चलिये मुबारक ये जश्न दोस्ती का

दामन तो थामा आप ने किसी का

दामन तो थामा आप ने किसी का

हमें तो खुशी यही है

तुम्हें भी किसी को अपना कहने की रात आई

दिल जो ना कह सका

सागर उठाओ दिल का किस को ग़म है

आज दिल की क़ीमत जाम से भी कम है

पियो चाहे खून-ए-दिल हो

के पीते पिलाते ही रहने की रात आई

दिल जो ना कह सका

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