Hindi Poem of Sahir Ludhianvi “ Har cheej jamane ki jaha par thi“ , “हर चीज़ ज़माने की जहाँ पर थी” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

हर चीज़ ज़माने की जहाँ पर थी

 Har cheej jamane ki jaha par thi

हर चीज़ ज़माने की जहाँ पर थी वहीं है,

एक तू ही नहीं है

नज़रें भी वही और नज़ारे भी वही हैं

ख़ामोश फ़ज़ाओं के इशारे भी वही हैं

कहने को तो सब कुछ है, मगर कुछ भी नहीं है

हर अश्क में खोई हुई ख़ुशियों की झलक है

हर साँस में बीती हुई घड़ियों की कसक है

तू चाहे कहीं भी हो, तेरा दर्द यहीं है

हसरत नहीं, अरमान नहीं, आस नहीं है

यादों के सिवा कुछ भी मेरे पास नहीं है

यादें भी रहें या न रहें किसको यक़ीं है

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