Hindi Poem of Shail Chaturvedi “Purana Petikot“ , “पुराना पेटीकोट” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

पुराना पेटीकोट

Purana Petikot

पैसे बचाने की आदत

अच्छी है डियर

किंतु जब तुम

पुरानी साड़ी को फाड़कर

सीती हो मेरा अन्डरवियर

तो तुम्हारा आएडिया

बहुत बुरा लगता है

फिर भी पहन लेता हूँ

घिसी साड़ी कि वे चड्डियाँ

जो दो चार बार उठने बैठने पर ही

बोल जाती है

तिस तुम कहती हो-

“बच्चे नहीं हो

घर चलाना सीखो

भविष्य के लिये बचाना सीखो।\”

अन्डरवियर तक तो बचत ठीक है

किंतु उस दिन

पड़ोसन काकी को तुमने

अपनी नई योजना सुनाई

तो क़सम से

उस रात नींद नहीं आई

तुम कह रही थी-\”काकी,

गेहूँ तीन रुपये का

एक किलो बिकता है

और चावल!

स्वप्न में भी कहाँ दिखता है

सोचती हूँ

इनका एक कुर्ता

रेशमी साड़ी से निकाल दूं

किनारी वाला हिस्सा

आस्तीन और गले पर ड़ाल दूँ

साड़ी में से एक क्या दो कुर्ते निकल आएँगे

साड़ी चल चुकी है दस साल

कुर्ते भी कुछ साल चल जएँगे।”

तो हे कपड़ो की एंजीनियर

अपनी प्यारी साड़ी को

मत करना टियर

सच कहता हूँ

तुम्हारी कला के प्रदर्शन का माध्यम

मैं बनूँ

इसकी चाह नहीं

 क्या बचत करने की

कोई और राह नहीं?

हे, सुनो!

पुराना पेटिकोट

जो तुम कमर मे बान्धती हो

मैं गले में बाँध लूंगा

सारा तन

उसी से ढाँक लूंगा

ख़र्च बच जायेगा

कुर्ते और पजामे का

और फैशन निकल आयेगा

एक नये जामे का।

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