Hindi Poem of Suryakant Tripathi “Nirala” “Garm Pakodi ”, “गर्म पकौड़ी” Complete Poem for Class 10 and Class 12

गर्म पकौड़ी -सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला

Garm Pakodi – Suryakant Tripathi “Nirala”

 

गर्म पकौड़ी,
ऐ गर्म पकौड़ी!
तेल की भुनी,
नमक मिर्च की मिली,
ऐ गर्म पकौड़ी!
मेरी जीभ जल गयी,
सिसकियां निकल रहीं,
लार की बूंदें कितनी टपकीं,
पर दाढ़ तले दबा ही रक्खा मैंने।

कंजूस ने ज्यों कौड़ी,
पहले तूने मुझको खींचा,
दिल लेकर फिर कपड़े-सा फींचा,
अरी, तेरे लिए छोड़ी,
बम्हन की पकाई,
मैंने घी की कचौड़ी।

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