Hindi Poem of Suryakant Tripathi “Nirala” “Geet Gane do Mujhe ”, “गीत गाने दो मुझे” Complete Poem for Class 10 and Class 12

गीत गाने दो मुझे -सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला

Geet Gane do Mujhe – Suryakant Tripathi “Nirala”

 

गीत गाने दो मुझे तो,
वेदना को रोकने को।

चोट खाकर राह चलते
होश के भी होश छूटे,
हाथ जो पाथेय थे,
ठग-ठाकुरों ने रात लूटे,
कंठ रूकता जा रहा है,
आ रहा है काल देखो।

भर गया है ज़हर से
संसार जैसे हार खाकर,
देखते हैं लोग लोगों को,
सही परिचय न पाकर,
बुझ गई है लौ पृथा की,
जल उठो फिर सींचने को।

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