Hindi Poem of Tulsidas “Binti bharat karat karat kar jore , “बिनती भरत करत – करत कर जोरे ” Complete Poem for Class 10 and Class 12

बिनती भरत करत – करत कर जोरे -तुलसीदास

Binti bharat karat karat kar jore -Tulsidas

 

बिनती भरत करत कर जोरे।

 दिनबन्धु दीनता दीनकी कबहुँ परै जनि भोरे॥१॥

 तुम्हसे तुम्हहिं नाथ मोको, मोसे, जन तुम्हहि बहुतेरे।

 इहै जानि पहिचानि प्रीति छमिये अघ औगुन मेरे॥२॥

 यों कहि सीय-राम-पाँयन परि लखन लाइ उर लीन्हें।

 पुलक सरीर नीर भरि लोचन कहत प्रेम पन कीन्हें॥३॥

 तुलसी बीते अवधि प्रथम दिन जो रघुबीर न ऐहौ।

 तो प्रभु-चरन-सरोज-सपथ जीवत परिजनहि न पैहौ॥४॥

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