Hindi Short Story and Hindi Moral Story on “Badla lene ki Iccha jab Bhalai me badal gai” , “बदला लेने की इच्छा जब भलाई में बदल गई” Hindi Prernadayak Story for Class 9, Class 10 and Class 12.

बदला लेने की इच्छा जब भलाई में बदल गई

Badla lene ki Iccha jab Bhalai me badal gai

 

 

एक सेवक अपने स्वामी की हत्या करके दूसरे नगर में भाग गया। स्वयं को छिपाने के लिए उसने कई वेश बदले। अब तक वह भिखारी हो चुका था। इधर उसके स्वामी का पुत्र अब तक युवा हो चुका था। अपने पिता के हत्यारे से बदला लेने की उसकी भावना प्रबल हो उठी। वह हत्यारे को खोजने चल पड़ा।

 

दूसरी ओर हत्यारा भिखारी चलते-चलते एक दिन ऐसी पहाड़ी सड़क पर पहुंचा, जहां से अक्सर लोग गिरकर मर जाते थे। भिखारी ने सोचा मरने से पहले मुझे कोई अच्छा काम कर लेना चाहिए। अगर मैं इस स्थान पर एक सुरंग बना दूं, तो लोगों का गिरकर मरना बंद हो जाएगा। अब तक वह काफी वृद्ध हो चुका था, अत: इस भलाई के कार्य में वह जी जान से जुट गया। एक दिन उसके स्वामी का पुत्र भी वहां आ पहुंचा और उसने अपने पिता के हत्यारे को पहचान लिया।

 

वह उसे मारने के लिए दौड़ा, तो भिखारी बोला- ‘तुम मुझे मारकर अपना बदला ले लेना किंतु मरने से पहले मुझे यह सुरंग पूरी करने दो।’ स्वामी के पुत्र ने उसकी बात मान ली और वह प्रतीक्षा करने लगा। स्वामी पुत्र उसके विषय में सोचने लगा कि इसने मेरे पिता की हत्या तो की है, किंतु अब असंख्य लोगों की भलाई के लिए नि:स्वार्थ सेवा भी कर रहा है। सुरंग पूरी होते ही भिखारी बोला- ‘अब मेरा काम पूरा हो गया, मैं मरने के लिए प्रस्तुत हूं।’ तब स्वामी पुत्र ने कहा- ‘लोक कल्याण व दृढ़ इच्छाशक्ति का पाठ पढ़ाने वाले अपने गुरु को मैं कैसे मार सकूंगा?’ वस्तुत: नष्ट और खोई हुई शक्ति अथवा वस्तु का चिंतन करने की अपेक्षा नए रास्ते पर चलोगे, तो पाओगे कि नई सुबह आपकी प्रतीक्षा में खड़ी हुई है।

 

 

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