Hindi Short Story and Hindi Moral Story on “Dhokebaj ka ant” , “धोखेबाज का अन्त” Hindi Prernadayak Story for Class 9, Class 10 and Class 12.

धोखेबाज का अन्त

Dhokebaj ka ant

 

 

एक नगर में एक पंडित रहता था| उसे अपनी पत्नी से बहुत प्यार हो गया था| एक बार इन दोनों पति-पत्नी के परिवार वालों के साथ लड़ाई हो गई| जिसके कारण इन्हें अपना घर छोड़कर दूसरे शहर में जाना पड़ा|

 

रास्ते में जाते-जाते उसकी पत्नी ने कहा-पतिदेव, मुझे पानी की प्यास सता रही है कहीं से पानी लाओ|

 

पानी की बात सुन वह पंडित पानी लेने के लिए निकल गया|

 

जैसे ही वह पानी लेकर आया तो देखता है कि उसकी पत्नी मरी पड़ी है| उसे देखते ही वह जोर-जोर से रोने लगा|

 

उसे रोते देख ऊपर से आवाज आई-हे पंडित! तुम इसे अपनी आधी आयु दे दो यह बच सकती है|

 

इस आवाज को सुनते ही पंडित ने सच्चे दिल से तीन बार कहा-

 

हे भगवान! मैं अपनी खुशी से इसे अपनी आधी आयु देता हूं|

 

सच्चे दिल से की हुई प्रार्थना स्वीकार हो गई| उसी समय उसकी पत्नी जीवित हो गई| फिर दोनों ने मिलकर पानी पीया, कुछ जंगली फल खाए, इसके पश्चात् चल पड़े|

 

थोड़ी दूर जाने के पश्चात् वे एक बहुत बड़े भाग में जाकर विश्राम करने लगे| फिर पत्नी ने कहा-मुझे बड़ी जोर की भूख लग रही है| अपनी पत्नी की बात सुन पंडित उसी समय भोजन लेने के लिए चल पड़ा|

 

पंडित के जाने के पश्चात वहां पर एक लंगड़ा गायक आया| उसकी आवाज में इतना जादू था कि पंडिताइन उसे सुनते ही दिल दे बैठी और उसके पास जाकर कहने लगी|

 

गायक जी! आपकी आवाज में तो कमाल का जादू है| आपने मेरा दिल जीत लिया है| अब तो तुम मेरे तन को भी बाहों में लेकर मुझे जीवन का सच्चा आनन्द दो, यही मेरी इच्छा है, इसे तुम्हें अवश्य पूरा करना होगा|

 

लंगड़ा गायक उस औरत की बातों में फंस गया| प्रेम जाल से आज तक कोई बच पाया है| बस दोनों ने खूब आनन्द लिया इसके पश्चात् स्त्री ने कहा कि गायक अब आप भी हमारे साथ ही चलोगे|

 

इसी बीच पंडित भी भोजन लेकर आ गया था|

 

जैसे ही पति-पत्नी भोजन करने लगे तो पत्नी ने कहा देखो जी यह लंगड़ा गायक है| इसका इस दुनिया में कोई नहीं| क्यों न हम इसे अपने साथ रख लें| क्योंकि आज आप मुझे छोड़कर चले जाते हो तो मेरा दिल अकेलेपन से बहुत घबराता है|

 

पंडित पहले से ही उसका गुलाम था| उसने झट हाँ कर दी|

 

इस प्रकार वे तीनों वहां से चल पड़े| अब पंडित की पत्नी दिन-प्रतिदिन उस लंगड़े गायक की ओर खिंचती जा रही थी| यहां तक कि उन्हें यह पंडित अपने रास्ते में रोड़ा महसूस होने लगा था|

 

एक दिन दोनों ने एक षड्यंत्र रचा| प्रेम और वासना ही आग में अंधे ही उन्होंने कुएं के पास सोये पंडित को कुए में धक्का देकर अपना रास्ता साफ कर लिया|

 

अब वह चालाक लंगड़े गायक को अपनी पीठ पर उठाए जैसे ही किसी दूसरे देश में पहुंची तो वहां के पहरेदार ने उसे संदेह को दृष्टि से देखते हुए पकड़कर अपने राजा के सामने पेश किया|

 

राजा ने उस औरत से पूछा, यह लंगड़ा कौन है?

 

यह मेरा पति है महाराज? क्योंकि यह बेचारा लंगड़ा है चल-फिर नहीं सकता| इसके कारण लोग इसके घृणा करते थे| मैंने इसी दुःख के मारे अपना देश छोड़ दिया और आपकी शरण लेने आई हूं|

 

राजा उस औरत की बात सुनकर समझ गया कि यह बेचारी बहुत दु:खी है| तभी झट से बोले-आओ मैं तुम्हें रहने के लिए एक गांव इनाम में देता हूं| इसकी कमाई से तुम दोनों मौज मारो| फिर दोनों वहां रहने लगे|

 

उधर किसी साधू ने पंडित को कुएं से निकाल लिया और वह भी उसी देश के उसी गांव में पहुंच गया| एक दिन स्त्री ने अपने पति को देख लिया| डर के मारे उसका बुरा हाल था| लेकिन उसने एक नई चाल चली| वह राजा के पास जाकर बोली –

 

महाराज! वह पापी मेरे पीछे लगा है शायद वह मेरी हत्या करना चाहता है|

 

राजा ने उसी समय उसे बुलाया और औरत के कहने पर फांसी की सजा दे दी| लेकिन फांसी देने से पूर्व उसने इस पंडित की इच्छा क्या है पूछो|

 

तभी उस पंडित ने उस पापिन पत्नी की ओर गौर से देखते हुए कहा|

 

देखो महाराज! यह औरत किसी समय मेरी पत्नी थी| आज वह मेरी शत्रु बन गई|

 

राजा ने आश्चर्य से पंडित की ओर देखा| जैसे उसके बात पर विश्वास ने आ रहा हो| इसलिए उसने कहा|

 

हे पंडित! तुम कोई सबूत दे सकते हो|

 

पंडित बोला-महाराज! इसका सबसे बड़ा सबूत यही है कि चतुर नारी भगवान का नाम लेकर यह कह दे कि मैंने अपने पति का लिया हुआ जीवन वापस किया|

 

सभी लोग इस विचित्र बात को सुन हैरानी से उन दोनो की ओर देख रहे थे| राजा ने उस औरत को ऐसा करने का आदेश दिया|

 

राजा के आदेश का पालन न करना मौत थी| बस वह औरत डरकर कहने लगी| मैंने अपने पति का लिया आधा जीवन वापस कर दिया| इतना कहते ही वह पापिन मर गई|

 

राजा ने आश्चर्य से पंडित की ओर देखकर कहा|

 

यह क्या बात है?

 

फिर पंडित ने राजा को उस बेवफा औरत की सारी कहानी सुना डाली|

 

बन्दर ने मगरमच्छ से कहा| इसीलिए मैं कहता हूं कि कभी स्त्री जाति पर विश्वास न करो|

 

Leave a Reply

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.