Hindi Short Story and Hindi Poranik kathaye on “Kache ghade me hi pani bharkar lati thi Renuka Sati” Hindi Prernadayak Story for All Classes.

कच्चे घड़े में ही पानी भरकर लती थी रेणुका सती

Kache ghade me hi pani bharkar lati thi Renuka Sati

सप्तऋषि भृगु के वंशज थे जमदग्नि, उनके पिता का नाम ऋचिका था और माता थी क्षत्रिय राजा गादी की पुत्री सत्यवती। जब वो बड़े हुए तो उन्होंने राजा प्रसन्नजीत से पुत्री रेणुका का हाथ माँगा जिसे उन्होंने सहर्ष स्वीकार कर लिया। दोनों के विवाह उपरांत पांच संतान हुई जिनके नाम वासु, विश्ववासु, बृहद्यनु, ब्रित्वकान्वा और रामभद्र जो आगे जाके परशुराम कहलाये।

रेणुका पतिव्रता स्त्री थी इसी के प्रताप से वो कच्चे घड़े में नदी से जल भर ले आती थी, एक बार वो पानी लाने गई तो उसका ध्यान रथ से जाते गन्धर्वो की तरफ गया। इतना होना था की उसका घड़ा नदी के पानी में ही मिल गया, डर के मारे ऊ वापस न जा सकी और वंही बैठ गई। जब जमदग्नि को ये पता चला तो उन्होंने बड़े पुत्र को माता का सर काटने का आदेश दिया, बेटे ने इंकार किया ऐसे करके चार पुत्रो ने इंकार कर दिया और वो पत्थर के हो गए।

जब रामभद्र बाहर से आये तो पिता ने उन्हें भी वही आज्ञा दी, वो पितृभक्त थे उन्होंने तुरंत माँ का सर धड़ से अलग कर दिया। पिता खुश हुए और उन्होंने दो वार मांगने बोला, इस पर पुत्र ने माँ और भाइयो का पुनर्जीवन मांग लिया पिता ने वैसा ही कर दिया पांचो बिना बहुत जाने फिर से जी उठे।

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