Motivational Story “Dherya har lakshya prapti me saphalta sunishchit karta hai” Hindi Motivational Story for, Primary Class, Class 10 and Class 12

धैर्य हर लक्ष्य प्राप्ति में सफलता सुनिश्चित करता है|

Dherya har lakshya prapti me saphalta sunishchit karta hai

अपनी सेना से बिछुड़कर शिवाजी एक ऐसी स्थान पर जा पहुँचे जहाँ दूर-दूर तक आबादी दिखाई न देती थी। कुछ अँधेरा हो चला था। तभी कुछ दूर पर उन्होंने दीमक का मन्द प्रकाश देखा। वे उधर गये और एक झोपड़ी के सम्मुख आ खड़े हुये। एक बुढ़िया बाहर आई और उन अभ्यागत को झोपड़ी के अन्दर ले गई। शिवाजी थके होने के साथ-साथ भूखे भी थे। बुढ़िया ने यह अनुभव कर लिया। उसने हाथ मुँह धोने के लिए गर्म पानी दिया और बैठने के लिए चटाई बिछा दी। शिवाजी हाथ मुँह धोकर आराम से बैठ गये। कुछ ही समय पश्चात बुढ़िया ने एक थाली में पकी हुई रोटियाँ परोस कर उनके सम्मुख रख दीं।

शिवाजी असहनीय रूप से भूखे थे। तुरन्त रोटियों का बड़ा सा कौर भरा। तभी ओ माँ ! हाथ झटकने लगे। रोटियाँ बहुत गर्म थीं।

बुढ़िया ने देखा तो बाली-”तू भी शिवा जैसे स्वभाव का मालूम होता है।” शिवाजी ने पूछा-”माता ! तूने शिवा से मेरी तुलना किस आधार पर की ?”

बुढ़िया बोली-”जिस प्रकार शिवा आस-पास के छोटे किले न जीकर बड़े-बड़े किले जीतने की उतावली करता है उसी प्रकार तूने भी किनारे-किनारे की ठंडी रोटियों को खाना शुरू न करके बीच में से बड़ा कौर भरकर हाथ जला लिया ! बेटा उतावली से काम बनता नहीं बिगड़ता है। मनुष्य की उन्नति के लिए छोटे-छोटे कदम बढ़ाते हुए सावधानी और धैर्य के साथ आगे बढ़ना चाहिए। उतावली के साथ बड़े-बड़े कदम उठाकर कोई बड़ा लक्ष्य नहीं पाया जा सकता। जिस दिन शिवा छोटे-छोटे किलों से अपना विजय-अभियान प्रारम्भ करेगा उसी दिन से उसे कभी पीछे हटने की आवश्यकता न होगी, और एक दिन ऐसा आयेगा जब वह अपने मनोनीत लक्ष्य को प्राप्त कर लेगा।

शिवाजी ने बुढ़िया की सीख गाँठ बाँध ली, जिसके फलस्वरूप उन्होंने इतिहास में गौरव पूर्ण स्थान प्राप्त कर लिया।

 

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