Motivational Story “Raj Nartaki aur irshalu darbari”,”राज नर्तकी और ईर्ष्यालु दरबारी” Hindi Motivational Story for, Primary Class, Class 10 and Class 12

राज नर्तकी और ईर्ष्यालु दरबारी

Raj Nartaki aur irshalu darbari

कांचनदेश के राजा धीरसिंह की राज नर्तकी थी, वसंतमालिनी ।  यघपि उसका जन्म साधारण परिवार में हुआ, परन्तु बचपन से ही नृत्य के प्रति वह विशेष रुचि दिखाती हुई आयी और बालिग होते-होते सुप्रसिद्व नर्तकी बन गयी और नाम कमाया ।  राजा ने उसकी प्रतिभा को पहचाना और उसे राज नर्तकी के पद पर नियुक्त किया ।  उसके नृत्य विन्यासों और असाधारण रुप भंगिमाओं  को देखते हुए सबके सब मंत्रमुग्ध  हो जाते थे ।  उस साल महारानी यामिनी देी के जन्म दिन के अवसर पर राजधानी में बड़े पैमाने पर उत्सव मनाये जा रहे थे ।  उस शुभ अवसर पर प्रजा के समक्ष उसका आदर-सत्कार करने का निर्णय राजा धीरसिंह ने लिया ।

परन्तु, राजा का यह निर्णय अन्य कलाकारों और पंडितों को ठीक नहीं लगा ।  उन्हें जो गौरव नहीं मिला, वह एक राज नर्तकी को मिले, यह उन्हें बिलकुल पसंद नहीं आया ।  वे इस विषय को लेकर अंदर ही अंदर कुढ़ रहे थे ।  मौका मिलने पर उसका अपमान करने और उसे  नीचा दिखाने के लिये वे तैयार बैठे थे ।

उस दिन की शाम को महारानी का जन्म दिनोत्सव मनाया जाने वाला था ।  वसंतमालिनी सजाये गये मंच पर बड़े ही विनय के सात एक कोने में बैठी हुई थी ।

राजा धीरसिंह ने मूल्यवान भेंटें प्रदान करके उसका सत्कार किया और उसके नृत्य की प्रतिभा की प्रशंसा करते हुए कहा, हमारी वसंतमालिनी किसी अप्सरा से कम नहीं है ।  उसका अदभुत नृत्य कितना ही प्रशंसनीय  है ।  ऐसी अदभुत नर्तकियाँ बहुत ही कम होती है ।  उसका हमारे राज्य में होना हमारा सौभाग्य है ।  उसके अदभुत नृत्य को देखने का भाग्य देवताओं को भी नहीं मिला ।

उपस्थित प्रजा ने तालियाँ बजाते हुए अपना हर्ष व्यक्त किया ।  पर, राजा से थोड़ी ही दूरी पर बैठे एक पंडित ने उठकर कहा, महाराज, क्षमा करें ।  आप अपूर्व कला पोषक है ।  कलाकारों का आदर करने में आपकी बराबरी करने की क्षमता किसी और में है ही नहीं ।  वसंतमालिनी एक सामान्य परिवार से आयी हुई कन्या है ।  किन्तु आपने उसे राज नर्तकी बनाया, जो आपकी उदारता का ज्वलंत  उदाहरण है ।  परन्तु, इसका यह मतलब नहीं कि आप उसकी तुलना अप्सराओं  से करें ।  आपने ऐसा करके देवताओं का अपमान किया ।  मैंने जो कहा, उसमें कोई त्रुटि हो तो मुझे माफ करें ।

इसके दूसरे ही क्षण एक नृत्य कलाकार उठ खड़ा हुआ और कहने लगा, मैंने अनगिनत नर्तकियों की नृत्य प्रतिभा देखी ।  वसंतमालिनी के नृत्य में स्वाभाविकता  कम है और दिखावा  अधिक ।  उसके नृत्य को देखते हुए आप ही आप हँसी फूट पड़ती है ।  यह दुर्भाग्य की बात है कि महाराज अपने हाथों उसका सम्मान कर रहे है ।  हमारे राज्य ने जो पाप किया, उसका यह फल है ।

वही बैठे आस्थान बिदूषक  गंगाधर शास्त्री ने उठकर कहा, महाप्रभु, हमारे राज्य ने जो पुण्य-पाप किये, इसके बारे में मैं नही जानता, पर इतना अवश्य जानता हूँ कि राज  नर्तकी वसंतमालिनी ने पुण्य-पाप दोनों किये ।

बिदूषक की बातों ने महाराज में कुतूहल  जगाया ।  उसने विदूषक से पूछा, ये लोग तो िसे पाप कह रहे है, अपमान मान रहे है, परन्तु आपका कहना है कि हमारी नर्तकी ने पाप-पुण्य दोनों किये है ।  यह कैसे संभव है ।  कृपया इस पर प्रकाश डालिये ।

विदूषक ने कहा, आप श्रेष्ठ कला पोषक है ।  आपके राज्य में उसका जन्म लेना उसका पुण्य है ।  इसी कारण, आप आज इस विराट सभा में उसका सत्कार कर रहे है ।  परन्तु किसी जन्म में उसने पाप किया होगा और वह पाप अब उसका पीछा कर रहा है ।

महाराज ने विदूषक से कहा कि वे इसे विशद रुप से समझाएँ और संदेहों को दूर करें ।

साथी कलाकारों को जो आदर-सम्मान प्राप्त हो रहा है, उसे देखते हुए अन्य कलाकार ईर्ष्या के मारे जले जा रहे है ।  ऐसे लोगों के सम्मुख वसंतमालिनी को नाचना पड़ रहा है ।  यह उसका किया गया पाप है ।  विदूषक ने गंभीर स्वर में कहा ।

इसके पहले जिन-जिन लोगों ने वसंतमालिनी की समालोचना की, उसके नृत्य को दिखावटटी बताया, उन्होंने शर्म के मारे सिर झुका लिये .  तब राजा ने कहा, ऐसे चाँद की सुन्दरता का आनन्द कोई नहीं ले सकता, जो चांदनी को नहीं फैलाता ।  उसी प्रकार साथी मानव में जो अच्छाई है, शक्ति-सामर्थ्य है, उनका जो आदर नहीं करता, उनका पांडित्य निष्प्रयोजन  है ।  ऐसे लोगों के व्यक्तित्व में वह काला धब्बा है ।  मुझे इस बात का दुख है कि ऐसे लोग मेरे राज्यसभा में मौजूद है ।

अपनी बाक् पटुता के बल पर जिन ईर्ष्यालु लोगों की असलियत का पर्दाफाश विदूषक ने किया, उसका सत्कार वसंतमालिनी के हाथों किया गया ।  जनता ने आन्नद-भरित होकर जोर से तालियाँ बजायी ।

अतः दूसरों की कमियाबी और तर्रकी से इर्ष्या कर कोई कभी आगे नहीं बढ़ सकता। आपने आप से प्रतियोगिता करें , कमियाबी आपके कदम चूमेगी ।

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