Tag: Hindi Poems

Hindi Poem of Ramdhari Singh Dinkar “Chand ka Kurta”, “ चांद का कुर्ता” Complete Poem for Class 10 and Class 12

चांद का कुर्ता -रामधारी सिंह दिनकर Chand ka Kurta -Ramdhari Singh Dinkar हठ कर बैठा चांद एक दिन, माता से यह बोला, “सिलवा दो मां, मुझे ऊन का मोटा …

Hindi Poem of Ramdhari Singh Dinkar “Kunji”, “कुंजी ” Complete Poem for Class 10 and Class 12

कुंजी -रामधारी सिंह दिनकर Kunji -Ramdhari Singh Dinkar घेरे था मुझे तुम्हारी साँसों का पवन, जब मैं बालक अबोध अनजान था। यह पवन तुम्हारी साँस का, सौरभ लाता था। …

Hindi Poem of Ramdhari Singh Dinkar “Geet-Ateet”, “गीत-अगीत ” Complete Poem for Class 10 and Class 12

गीत-अगीत -रामधारी सिंह दिनकर Geet-Ateet -Ramdhari Singh Dinkar गीत, अगीत, कौन सुंदर है? गाकर गीत विरह की तटिनी वेगवती बहती जाती है, दिल हलका कर लेने को उपलों से …

Hindi Poem of Ramdhari Singh Dinkar “Aasha Ka Deepak ”, “ आशा का दीपक ” Complete Poem for Class 10 and Class 12

आशा का दीपक -रामधारी सिंह दिनकर Aasha Ka Deepak -Ramdhari Singh Dinkar   वह प्रदीप जो दीख रहा है झिलमिल दूर नहीं है; थक कर बैठ गये क्या भाई …

Hindi Poem of Ramdhari Singh Dinkar “Kargha”, “करघा  ” Complete Poem for Class 10 and Class 12

करघा – रामधारी सिंह ‘दिनकर’ Kargha – Ramdhari Singh Dinkar   हर ज़िन्दगी कहीं न कहीं, दूसरी ज़िन्दगी से टकराती है। हर ज़िन्दगी किसी न किसी, ज़िन्दगी से मिल कर …

Hindi Poem of Ramdhari Singh Dinkar “Gandhi”, “गाँधी ” Complete Poem for Class 10 and Class 12

गाँधी – रामधारी सिंह ‘दिनकर’ Gandhi – Ramdhari Singh Dinkar   देश में जिधर भी जाता हूँ, उधर ही एक आह्वान सुनता हूँ। ‘जडता को तोडने के लिए भूकम्प लाओ। घुप्प …

Hindi Poem of Ramdhari Singh Dinkar “Aag Ki Bheekh”, “ आग की भीख” Complete Poem for Class 10 and Class 12

आग की भीख – रामधारी सिंह ‘दिनकर’ Aag Ki Bheekh – Ramdhari Singh Dinkar   धुँधली हुईं दिशाएँ, छाने लगा कुहासा, कुचली हुई शिखा से आने लगा धुआँ-सा। कोई मुझे बता …

Hindi Poem of Jayshankar Prasad “Chitradhara”, “चित्राधार  ” Complete Poem for Class 10 and Class 12

चित्राधार  Chitradhara   कानन-कुसुम – पुन्य औ पाप न जान्यो जात। सब तेरे ही काज करत हैं और न उन्हे सिरात ॥ सखा होय सुभ सीख देत कोउ काहू …