Tag: Hindi Poems

Hindi Poem of Pratibha Saksena “  Aate hi kyo”,” आते ही क्यों ?” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

आते ही क्यों ?  Aate hi kyo   स्वीकार किया होता तो हम आते ही क्यों? इस भाँति पराये देश ढूँढने को साधन अधिकार मिला होता तो बिलगाते ही …

Hindi Poem of Pratibha Saksena “  Madhumay vasanti”,” मधुमय वासन्ती” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

मधुमय वासन्ती  Madhumay vasanti   हिल उठी आम की डाल,  कूक से गूँज गई अमराई, फूलों के गाँवों में बाजी मधुपों की शहनाई! शृंगार सज रही प्रकृति, ओढ़ कर …

Hindi Poem of Pratibha Saksena “  Tumne keval bahar dekha”,” तुमने केवल बाहर देखा” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

तुमने केवल बाहर देखा  Tumne keval bahar dekha   तुमने केवल बाहर देखा, काश हृदय में झाँका होता! तुमने देखा मस्त हिलोंरों भरा सिन्धु का उमडा यौवन, कुमने देखा …

Hindi Poem of Pratibha Saksena “  Bujurg pedh”,” बुज़ुर्ग पेड़” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

बुज़ुर्ग पेड़  Bujurg pedh   कुछ रिश्ता है ज़रूर मेरा इन बुज़ुर्ग पेड़ों से! देख कर ही हरिया जाती हैं आँखें, उमग उठता है मन, वैसे ही जैसे मायके …

Hindi Poem of Pratibha Saksena “  Yodha ka vishad”,” योद्धा का विषाद” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

योद्धा का विषाद  Yodha ka vishad   जो व्यर्थ लाद कर घूम रही धर दूँ सारा बोझा उतार! ये गीता और महाभारत सुन लेंगे थोड़ी देर बाद यह महासमर …

Hindi Poem of Pratibha Saksena “  Meera”,” मीराँ” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

मीराँ  Meera   ओ, राज महल की सूनी सी वैरागिन, ओ अपने मन मोहन की प्रेम-दिवानी, ओ मीरा तेरी विरह रागिनी जागी, तो गूँज उठी युग-युग के उर की …

Hindi Poem of Pratibha Saksena “  O chand jara dhire dhire”,” ओ चाँद जरा धीरे-धीरे” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

ओ चाँद जरा धीरे-धीरे  O chand jara dhire dhire   कोई शरमीली साध न बाकी रह जाये! किरणों का जाल न फेंको अभी समय है, जो स्वप्न खिल रहे, …

Hindi Poem of Pratibha Saksena “  Vandana”,” वन्दना” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

वन्दना  Vandana   अंध तम का एक कण मै, तुम अपरिमित ज्योतिशाली, दीप के मैं धूम्र का कण, तुम दिवा के अंशुमाली! मैं अकिंचन रेणुकण हूँ, तुम अचल हिमचल …