Hindi Poem of Kabir “Rahna nahi des Brana Hai , “रहना नहिं देस बिराना है” Complete Poem for Class 10 and Class 12

रहना नहिं देस बिराना है -कबीर

Rahna nahi des Brana Hai -Kabir ke dohe

 

रहना नहिं देस बिराना है।

यह संसार कागद की पुडिया, बूँद पडे गलि जाना है।
यह संसार काँटे की बाडी, उलझ पुलझ मरि जाना है॥
यह संसार झाड और झाँखर आग लगे बरि जाना है।
कहत ‘कबीर सुनो भाई साधो, सतुगरु नाम ठिकाना है॥

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