Category: Hindi Poems

Hindi Poem of Pratibha Saksena “ Ek mitti ka khilona ”,”एक मिट्टी का खिलौना” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

एक मिट्टी का खिलौना Ek mitti ka khilona    एक मिट्टी का खिलौना जिन्दगी, ढालने को जन्म भी तैयार है, खेलने को मौत भी तैयार! चार साँसें, एक आँसू, …

Hindi Poem of Pratibha Saksena “  Mori jot na Chunchuay”,”मोरी जोत ना धुँधुआय” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

मोरी जोत ना धुँधुआय  Mori jot na Chunchuay   पीछे छूटि गई सारी भीर-भार! अब तो उतरि गो सैलाब, जी में काहे की हरास, लै जात नहीं केऊ का …

Hindi Poem of Pratibha Saksena “ Vatkatha”,”वटकथा” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

वटकथा Vatkatha   मैं जाती थी वर्ष में एक बार,उस छाँह को छूने उसके नीचे बिताये दिन फिर से जीने, और पूरे साल की ऊर्जा मिल जाती थी मुझे …

Hindi Poem of Pratibha Saksena “  Chuppe rahi let haa”,”चुप्पै रहि लेत हौं” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

चुप्पै रहि लेत हौं  Chuppe rahi let haa   बिटवा को माय ने बिगारि दियो कइस दुइ बच्चन को बाप ह्वै छटूलो बनो जात है! का कहै मरद जात …

Hindi Poem of Pratibha Saksena “ Akshara”,”अक्षरा” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

अक्षरा  Akshara   तुम प्रतिष्ठित रहो सुयश प्रदायिनी बन हृदय में निष्ठा स्वरूप बसो निरंतर! प्रभा बन सुविकीर्ण प्रतिपल नयन में हो बन अचल विश्वास अंतर में समाओ, समर्पित …

Hindi Poem of Pratibha Saksena “  Bahini ka bhag”,”बहिनी का भाग” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

बहिनी का भाग  Bahini ka bhag   तेरी कमाई में ओ,मेरे भइया कुछ तो है बहिनी का भाग, इक नया पैसा हजार रुपैया में,बस इतना कर दे निभाव, भौजी …

Hindi Poem of Pratibha Saksena “  Teri mati chandan”,”तेरी माटी चंदन!” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

तेरी माटी चंदन!  Teri mati chandan   तेरी माटी चंदन, तेरा जल गंगा जल, तुझमें जो बहती है वह वायु प्राण का बल, ओ मातृ-भूमि, मेरे स्वीकार अमित वंदन! …

Hindi Poem of Pratibha Saksena “  Goras ki handi”,”गोरस की हाँडी” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

गोरस की हाँडी  Goras ki handi   गोरस की हाँडी कबहुँ बोरसी पे चढी नायँ,तीज-त्यौहार हू कढ़ाही रही छूछ ही, एकै बार पेट तो भराय दिन भरै माँझ रात …