Hindi Poem of Agnishekhar “Satyagrahi ped , “सत्याग्रही पेड़ ” Complete Poem for Class 10 and Class 12

सत्याग्रही पेड़ -अग्निशेखर

Satyagrahi ped -Agnishekhar

 

कभी जमा होते थे
कांकेर की खंडी नदी के किनारे
तुम्हारी छाँव में स्वतन्त्रता सेनानी
तुम उनका पसीना पोंछते
योजनाएँ सुनते
हौंसला देखते

आज जब मनाई जा रही हैं
कियों-कैयों की जन्म-शताब्दियाँ
किसे याद होगा तुम्हारे सिवा
इन्दरू केवट का गांधीपना
देखने भर से उसे
तुम्हारी डगालों में
पृथ्वी के नीचे सोई जड़ों से
दौड़ जाता
फुनगी तक उत्साह

और दुनिया अचरज से देखती
छत्तीसगढ़ कीधरती पर
कैसे मौरता है आम

आज किसे याद होगा
सत्याग्रहियों ने एक दिन मड़ई की तरह
तुममें टिकाए थे अपने झंडे
फरफराए थे पत्ते

गाए थे तुमने जोशीले गीत
और क्रान्तिकारियों को
मितान बदने
गिराए थे उनकी झोली में

रसीले आम

ओ ददा
ओ झंडा-आम
अकेले नहीं तुम स्मृतियों से
खारिज
अनजान

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