Hindi Poem of Dhananjay singh “Jhankte he fir nadi me ped”,”झाँकते हैं फिर नदी में पेड़” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

झाँकते हैं फिर नदी में पेड़

 Jhankte he fir nadi me ped

झाँकते हैं

फिर नदी में पेड़

पानी थरथराता है

यह

नुकीले पत्थरों का तल

काटता है धार को प्रतिपल

और

तट की बाँबियों को छेड़

फिर कोई संपेरा गुनगुनाता है

हर नदी का

शौक़ है घड़ियाल

कह न पातीं मछलियाँ वाचाल

पूछती है

एक काली भेड़

यह सूरज यहाँ क्यों रोज़ आता है

 

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