Hindi Poem of Amitabh Bachchan “ Meri antaratma me kay hai“ , “मेरी अन्तरात्मा में क्या है” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

मेरी अन्तरात्मा में क्या है

Meri antaratma me kay hai

 

मेरी अंतरात्मा में क्या है

कुछ ज़रूरी सिक्के

कुछ और सिक्कों के आने की उम्मीद

धनिकों का लोकतन्त्र

वंचितों का अमानवीय जीवन

धनिक बनने की मेरी अनिच्छा

एक खिन्न असन्तुष्ट आदमी

एक आसान मौत पाने की योजना

मालिक का एक बिगड़ा हुआ नौकर

नीचतापूर्ण तुच्छ कार्यों की निस्सारता से आहत

शोषितों के संघर्ष और पराजयों को

सुरक्षित दूरी से निहारता

एक बौना

एक कापुरूष

वंचितों के एक विराट विद्रोह की कामना

जो मेरी नकली उदारता, लघुता, पापबोध और अवसरवादिता से मुक्त कर दे

मैं बेचता रहता हूँ सस्ते में

अपनी अन्तरात्मा

जब सिक्के पूरे नहीं पड़ते

अनिच्छाएँ कवच हैं

मेरी अन्तरात्मा की

फल-फूल रही हैं

जिसमें मेरी शाश्वत निराशाएँ

और धनिकों का लोकन्त्र

 

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