Hindi Poem of Ashniv Singh Chaohan “  Chike man ka mor “ , “चीख़े मन का मोर” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

चीख़े मन का मोर

 Chike man ka mor

 

छोड़ साथ यों

चला गया किस ओर

टप-टप-टप-टप

बरसे पानी

टूटा सपन सलोना

अंदर-अंदर

तिरता जाऊँ

भींगा कोना-कोना

चीख़ रहा है

पल-छिन छिन-पल

अपने मन का मोर

किसने जाना

कहाँ तलक

उड़ पाएगी गौरैया

किसने जाना

कहाँ और कब

मुड़ जाएगी नैया

जान गए भी

तो क्या होगा

समय बड़ा है चोर

पास हमारे

आओगे कब

साथी साथ निभाने

हाथ पकड़कर

ले चलना तब

मुझको किसी ठिकाने

मिलन हमारा

ले आयेगी

खुशियों की तब भोर

 

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