Hindi Poem of Ashniv Singh Chaohan “ Gagan me Badra , “गगन में बदरा” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

गगन में बदरा

 Gagan me Badra

 

आये बदरा छाये

आते ही झट लगा खेलने

सूरज आँख-मिचौनी

घुले-मिले तो ऐसे-जैसे

मिसरी के संग नैनी

बाट जोहते रहे बटोही

धूप-छाँव के साये

हुआ मगन मन गाये कजरी

गाये बारहमासी

लहकी-थिरकी है पुरवइया   

देख पक्षाभ-कपासी

औचक-भौचक ढ़ोल-मजीरा

मौसम धूम मचाये

करो हरी तुम कोख धरा की

आओ बदरा बरसो

क्या रक्खा है कल करने में

या करने में परसों

उम्मीदों की फसल उगाओ

हम हैं आस लगाये

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