Hindi Poem of Ashok Anjum “  Dwar par sakal lagakar so gye”,”द्वार पर साँकल लगाकर सो गए” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

द्वार पर साँकल लगाकर सो गए

 Dwar par sakal lagakar so gye

 

द्वार पर साँकल लगाकर सो गए

जागरण के गीत गाकर सो गए।

सोचते थे हम कि शायद आयेंगे

और वे सपने सजाकर सो गए।

काश! वे सूरत भी अपनी देखते

आइना हमको दिखाकर सो गए।

रूठना बच्चों का हर घर में यही

पेट खाली छत पर जाकर सो गए।

हैं मुलायम बिस्तरों पर करवटें

और भी धरती बिछाकर सो गए।

रात-भर हम करवटें लेते रहे

और वे मुँह को घुमाकर सो गए।

घर के अंदर शोर था, हाँ इसलिए

साब जी दफ्तर में आकर सो गए।

कितनी मुश्किल से मिली उनसे कहो

वे जो आज़ादी को पाकर सो गए।

फिर गज़ल का शे’र हो जाता, मगर

शब्द कुछ चौखट पे आकर सो गए।

 

Leave a Reply

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.