Hindi Poem of Ashok Vajpayee “  Sadak par ek aadmi”,”सड़क पर एक आदमी” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

सड़क पर एक आदमी

 Sadak par ek aadmi

 

वह जा रहा है

सड़क पर

एक आदमी

अपनी जेब से निकालकर बीड़ी सुलगाता हुआ

धूप में–

इतिहास के अंधेरे

चिड़ियों के शोर

पेड़ों में बिखरे हरेपन से बेख़बर

वह आदमी …

बिजली के तारों पर बैठे पक्षी

उसे देखते हैं या नहीं – कहना मुश्किल है

हालांकि हवा उसकी बीड़ी के धुएं को

उड़ाकर ले जा रही है जहां भी वह ले जा सकती है ….

वह आदमी

सड़क पर जा रहा है

अपनी ज़िंदगी का दुख–सुख लिए

और ऐसे जैसे कि उसके ऐसे जाने पर

किसी को फ़र्क नहीं पड़ता

और कोई नहीं देखता उसे

न देवता¸ न आकाश और न ही

संसार की चिंता करने वाले लोग

वह आदमी जा रहा है

जैसे शब्दकोष से

एक शब्द जा रहा है

लोप की ओर ….

और यह कविता न ही उसका जाना रोक सकती है

और न ही उसका इस तरह नामहीन

ओझल होना ……

कल जब शब्द नहीं होगा

और न ही यह आदमी

तब थोड़ी–सी जगह होगी

खाली–सी

पर अनदेखी

और एक और आदमी

उसे रौंदता हुआ चला जाएगा।

 

 

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