Hindi Poem of Atal Bihari Vajpayee “Aao Phir Se Diya Jalayen , “आओ फिर से दिया जलाएँ” Complete Poem for Class 10 and Class 12

आओ फिर से दिया जलाएँ -अटल बिहारी वाजपेयी

Aao Phir Se Diya Jalayen – Atal Bihari Vajpayee

 

आओ फिर से दिया जलाएँ
भरी दुपहरी में अंधियारा
सूरज परछाई से हारा
अंतरतम का नेह निचोड़ें-
बुझी हुई बाती सुलगाएँ।
आओ फिर से दिया जलाएँ

हम पड़ाव को समझे मंज़िल
लक्ष्य हुआ आंखों से ओझल
वतर्मान के मोहजाल में-
आने वाला कल न भुलाएँ।
आओ फिर से दिया जलाएँ।

आहुति बाकी यज्ञ अधूरा
अपनों के विघ्नों ने घेरा
अंतिम जय का वज़्र बनाने-
नव दधीचि हड्डियां गलाएँ।
आओ फिर से दिया जलाएँ

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