Hindi Poem of Bashir Badra “ Gulo ki tarha hum ne zindagi ko is kadar jana” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

गुलों की तरह हम ने ज़िंदगी को इस कदर जाना

 Gulo ki tarha hum ne zindagi ko is kadar jana

गुलों की तरह हम  ने ज़िंदगी को इस कदर जाना

किसी कि ज़ुल्फ़ में इक रात सोना और बिखर जाना

अगर ऐसे गए तो ज़िंदगी पर हर्फ़ आयेगा

हवाओं से लिपटना तितलियों को चूम कर जाना

धुनक के रख दिया था बादलों को जिन परिंदों ने 

उन्हें किसने सिखाया अपने साये से भी डर जाना

कहाँ तक ये दिया बीमार कमरे कि फ़िज़ां बदले

कभी तुम एक मुट्ठी धुप इन ताकों में भर जाना

इसी में आफिअत है घर में अपने चैन से बैठो

किसी कि स्मित जाना हो तो रस्ते में उतर जाना

 

 

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