Hindi Poem of Bashir Badra “Patthar ke jigar valo gam me vo ravani he”,”पत्थर के जिगर वालों ग़म में वो रवानी है” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

पत्थर के जिगर वालों ग़म में वो रवानी है

 Patthar ke jigar valo gam me vo ravani he

पत्थर के जिगर वालों ग़म में वो रवानी है

ख़ुद राह बना लेगा बहता हुआ पानी है

फूलों में ग़ज़ल रखना ये रात की रानी है

इस में तेरी ज़ुल्फ़ों की बे-रब्त कहानी है

एक ज़हन-ए-परेशाँ में वो फूल सा चेहरा है

पत्थर की हिफ़ाज़त में शीशे की जवानी है

क्यों चांदनी रातों में दरिया पे नहाते हो

सोये हुए पानी में क्या आग लगानी है

इस हौसला-ए-दिल पर हम ने भी कफ़न पहना

हँस कर कोई पूछेगा क्या जान गवानी है

रोने का असर दिल पर रह रह के बदलता है

आँसू कभी शीशा है आँसू कभी पानी है

ये शबनमी लहजा है आहिस्ता ग़ज़ल पढ़ना

तितली की कहानी है फूलों की ज़बानी है

 

 

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