Hindi Poem of Bashir Badra “ Tera haath mere kandhe”,”तेरा हाथ मेरे काँधे” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

तेरा हाथ मेरे काँधे

 Tera haath mere kandhe

तेरा हाथ मेरे काँधे पे दर्या बहता जाता है

कितनी खामोशी से दुख का मौसम गुजरा जाता है

नीम पे अटके चाँद की पलकें शबनम से भर जाती हैं

सूने घर में रात गये जब कोई आता-जाता है

पहले ईँट, फिर दरवाजे, अब के छत की बारी है

याद नगर में एक महल था, वो भी गिरता जाता है

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