Hindi Poem of Amitabh Tripathi Amit “Mere mitra mere ekant “ , “मेरे मित्र मेरे एकान्त ” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

मेरे मित्र मेरे एकान्त
Mere mitra mere ekant

 

मेरे मित्र मेरे एकान्त
सस्मित और शान्त
कितने सदय हो
सुनते हो मन की
टोका नहीं कभी
रोका भी नहीं कभी
तुम्हारे साथ जो पल बीते
सम्बल है उनका
हम रहे जीते

मेरे मित्र
मेरे एकान्त
आज बहुत थका सा
लौटा हूँ भ्रमण से
पदचाप सुनता हूँ
कल्पित विश्रान्ति का
या अपनी भ्रान्ति का

मेरे मित्र
मेरे एकान्त
जानते हो!
केवल एक तुम ही
मेरे एकालाप को
सुनते हो बिन-उकताये
इसीलिये बार-बार
दुनिया से हार-हार
शरण में आता हूँ

मेरे प्रिय सुहृद
मेरे एकान्त
क्या तुम मुझे नहीं रख सकते
सदैव अपने अंक में
कोलाहल से दूर
जहाँ मैं सो लूँ
एक नींद
जो फिर न खुले

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