Hindi Poem of Bashir Badra “Yaad kisi ki chandani ban kar”,”याद किसी की चांदनी बन कर” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

याद किसी की चांदनी बन कर

 Yaad kisi ki chandani ban kar

याद किसी की चाँदनी बन कर कोठे कोठे उतरी है

याद किसी की धूप हुई है ज़ीना ज़ीना उतरी है

रात की रानी सहन-ए-चमन में गेसू खोले सोती है

रात-बेरात उधर मत जाना इक नागिन भी रहती है

तुम को क्या तुम ग़ज़लें कह कर अपनी आग बुझा लोगे

उस के जी से पूछो जो पत्थर की तरह चुप रहती है

पत्थर लेकर गलियों गलियों लड़के पूछा करते हैं

हर बस्ती में मुझ से आगे शोहरत मेरी पहुँचती है

मुद्दत से इक लड़की के रुख़्सार की धूप नहीं आई

इसी लिये मेरे कमरे में इतनी ठंडक रहती है

 

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