Hindi Poem of Dhananjay singh “Lotna padega fir fir ghar”,”लौटना पड़ेगा फिर-फिर घर” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

लौटना पड़ेगा फिर-फिर घर

 Lotna padega fir fir ghar

घर की देहरी पर छूट गए

संवाद याद यों आएँगे

यात्राएँ छोड़ बीच में ही

लौटना पड़ेगा फिर-फिर घर

यह आँगन धन्यवाद देकर

मन ही मन यों मुस्काएगा

यात्राएँ सभी अधूरी हैं

तू लौट यहीं फिर आएगा

ओ जाने वाले परदेसी

ये पथ तुझको भरमाएँगे

घर की यादों के जले दीप

रेती में आग लगाएँगे

छालों को छीलेंगे तेरे

सपनों के महलों के खण्डहर

ये विदा-समय की नम पलकें

हारे कंधे थपकाएँगी

गोधूलि सनी घंटियाँ तुझे

पगडंडी पर ले आएँगी

तुलसी चौरे के पास जला

दीवा सूरज बन जाएगा

तुतली बोली वाला छौना

प्राणों में हूक जगाएगा

कस्तूरी-से गंधाते पल

टेरेंगे रे हिरना अक्सर

 

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