Hindi Poem of Dharamvir Bharti “ Barso ke baad usi sune aangan me”,”बरसों के बाद उसी सूने- आंगन में” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

बरसों के बाद उसी सूने- आंगन में

 Barso ke baad usi sune aangan me

बरसों के बाद उसी सूने- आँगन में

जाकर चुपचाप खड़े होना

रिसती-सी यादों से पिरा-पिरा उठना

मन का कोना-कोना

कोने से फिर उन्हीं सिसकियों का उठना

फिर आकर बाँहों में खो जाना

अकस्मात् मण्डप के गीतों की लहरी

फिर गहरा सन्नाटा हो जाना

दो गाढ़ी मेंहदीवाले हाथों का जुड़ना,

कँपना, बेबस हो गिर जाना

रिसती-सी यादों से पिरा-पिरा उठना

मन को कोना-कोना

बरसों के बाद उसी सूने-से आंगन में

जाकर चुपचाप खड़े होना!

 

 

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