Hindi Poem of Satyanarayan “Sune ghar me“ , “सूने घर में” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

सूने घर में

 Sune ghar me

सूने घर में

कोने-कोने

मकड़ी बुनती जाल

अम्मा बिन

आँगन सूना है

बाबा बिन दालान

चिट्ठी आई है

बहिना की

साँसत में है जान,

नित-नित

नए तगादे भेजे

बहिना की ससुराल ।

भ‍इया तो

परदेश विराजे

कौन करे अब चेत

साहू के खाते में

बंधक है

बीघा भर खेत,

शायद

कुर्की ज़ब्ती भी

हो जाए अगले साल ।

ओर छोर

छप्पर का टपके

उनके काली रात

शायद अबकी

झेल न पाए

भादों की बरसात

पुरखों की

यह एक निशानी

किसे सुनाए हाल ।

फिर भी

एक दिया जलता है

जब साँझी के नाम

लगता

कोई पथ जोहे

खिड़की के पल्ले थाम,

बड़ी-बड़ी दो आँखें

पूछें

फिर-फिर वही सवाल ।

सूने घर में

कोने-कोने

मकड़ी बुनती जाल ।

 

Leave a Reply

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.