Hindi Poem of Divik Ramesh “Detya ne kaha”,” दैत्य ने कहा” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

दैत्य ने कहा

Detya ne kaha 

दैत्य ने कहा — मैं घोषणा करता हूँ

कि आज से सब स्वतंत्र हैं

कि सब ले सकते हैं आज से

भुनते हुए गोश्त की लाजवाब महक ।

सब ख़ुश हुए क्योंकि सब को ख़ुश होना चाहिए था ।

कितना उदार है दैत्य!

दैत्य ने कहा

तकाजा है नैतिकता का कि नहीं भूनने चाहिए हमें दूसरों के शरीर

वह भी महज भुनते हुए गोश्त की महक के लिए ।

सबने स्वीकार किया ।

कितना महान है दैत्य!

दैत्य ने कहा

ख़ुद को जलाकर ख़ुद की महक लेना

कहीं बेहतर कहीं पवित्र होता है महक के लिए ।

सबने माना और झोंक दिया आग में ख़ुद को ।

कितना इंसान है दैत्य!

दैत्य ने कहा

तुम्हें गर्व होना चाहिए ख़ुद की कुर्बानियों पर

सब और-और भुनने लगे मारे गर्व के ।

कितना भगवान है दैत्य!

दैत्य ने कहा

पर इस बार ख़ुद से

कितना लाजवाब होगा इन मूर्खों का महकता गोश्त

आज दावत होगी दैत्यों की ।

दैत्य हँसता रहा, हँसता रहा

 

 

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