Hindi Poem of Dushyant Kumar “  Tepa sammelan ke liye gazal“ , “टेपा सम्मेलन के लिए ग़ज़ल” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

टेपा सम्मेलन के लिए ग़ज़ल

 Tepa sammelan ke liye gazal

 

याद आता है कि मैं हूँ शंकरन या मंकरन

आप रुकिेए फ़ाइलों में देख आता हूँ मैं

हैं ये चिंतामन अगर तो हैं ये नामों में भ्रमित

इनको दारु की ज़रूरत है ये बतलाता हूँ मैं

मार खाने की तबियत हो तो भट्टाचार्य की

गुलगुली चेहरा उधारी मांग कर लाता हूँ मैं

इनका चेहरा है कि हुक्का है कि है गोबर-गणेश

किस कदर संजीदगी यह सबको समझाता हूँ मैं

उस नई कविता पे मरती ही नहीं हैं लड़कियाँ

इसलिये इस अखाड़े में नित गज़ल गाता हूँ मैं

कौन कहता है निगम को और शिव को आदमी

ये बड़े शैतान मच्छर हैं ये समझाता हूँ मैं

ये सुमन उज्जैन का है इसमें खुशबू तक नहीं

दिल फ़िदा है इसकी बदबू पर कसम खाता हूँ मैं

इससे ज्यादा फ़ितरती इससे हरामी आदमी

हो न हो दुनिया में पर उज्जैन में पाता हूँ मैं

पूछते हैं आप मुझसे उसका हुलिया, उसका हाल

भगवती शर्मा को करके फ़ोन बुलवाता हूँ मैं

वो अवंतीलाल अब धरती पे चलता ही नहीं

एक गुटवारे-सी उसकी शख़्सियत पाता हूँ मैं

सबसे ज़्यादा कीमती चमचा हूँ मैं सरकार का

नाम है मेरा बसंती, राव कहलाता हूँ मैं

प्यार से चाहे शरद की मार लो हर एक गोट

वैसे वो शतरंज का माहिर है, बतलाता हूँ मैं

 

Leave a Reply

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.