Hindi Poem of Giridhar “Jhutha mithe vachan kahi“ , “झूठा मीठे वचन कहि” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

झूठा मीठे वचन कहि
Jhutha mithe vachan kahi

झूठा मीठे वचन कहि, ॠण उधार ले जाय।
लेत परम सुख उपजै, लैके दियो न जाय॥

लैके दियो न जाय, ऊँच अरु नीच बतावै।
ॠण उधार की रीति, मांगते मारन धावै॥

कह गिरिधर कविराय, जानी रह मन में रूठा।
बहुत दिना हो जाय, कहै तेरो कागज झूठा॥

 

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