Hindi Poem of Dhananjay singh “Bech diye he mithe sapne”,”बेच दिए हैं मीठे सपने” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

बेच दिए हैं मीठे सपने

 Bech diye he mithe sapne

हमने तो

अनुभव के हाथ

बेच दिए हैं मीठे सपने

सूरज के

छिपने के बाद

हुए बहुत मौलिक अनुवाद

सुबह

लिखे पृष्ठ लगे छपने

स्वर्ण कलश

हाथ से छुटे

रोटी के दाम हम लुटे

ऊँचे-ऊँचे

सार्थक मनोबल

बैठ गए हैं माल जपने

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