Hindi Poem of Gopal Prasad Vyas “Sarkar kahte hai“ , “सरकार कहते हैं” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

सरकार कहते हैं
Sarkar kahte hai

बुढ़ापे में जो हो जाए उसे हम प्यार कहते हैं,
जवानी की मुहब्बत को फ़कत व्यापार कहते हैं।
जो सस्ती है, मिले हर ओर, उसका नाम महंगाई,
न महंगाई मिटा पाए, उसे सरकार कहते हैं।

जो पहुंचे बाद चिट्ठी के उसे हम तार कहते हैं,
जो मारे डॉक्टर को हम उसे बीमार कहते हैं।
जो धक्का खाके चलती है उसे हम कार मानेंगे,
न धक्के से भी जो चलती उसे सरकार कहते हैं।

कमर में जो लटकती है, उसे सलवार कहते हैं,
जो आपस में खटकती है, उसे तलवार कहते हैं।
उजाले में मटकती है, उसे हम तारिका कहते,
अंधेरे में भटकती जो, उसे सरकार कहते हैं।

मिले जो रोज बीवी से, उसे फटकार कहते हैं,
जिसे जोरू नहीं डांटे, उसे धिक्कार कहते हैं।
मगर फटकार से, धिक्कार से भी जो नहीं समझे,
उसे मक्कार कहते हैं, उसे सरकार कहते हैं।

सुबह उठते ही बिस्तर से ‘कहां अखबार’ कहते हैं,
शकल पर तीन बजते ‘चाय की दरकार’ कहते हैं।
वे कहती हैं, ‘चलो बाजार’ हंसकर शाम के टाइम,
तो हम नज़रें झुकाकर ‘मर गए सरकार’ कहते हैं।

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