Hindi Poem of Gopal Prasad Vyas “Giriraj Maharaj ki Jay“ , “गिरिराज महाराज की जय!” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

गिरिराज महाराज की जय!
Giriraj Maharaj ki Jay

जगती में नग बहुत हैं, भारत में नगराज।
भारत में गिरि बहुत हैं, ब्रज में श्री गिरिराज॥
भक्ति मुक्ति अनुरक्ति सब, देवत छप्पर फाड़।
पाथर पूजन जात क्यौं, कबिरा पूज पहाड़॥
पूजित सुंदर श्याम कौं, ब्रज-रक्षक ब्रज-बाड़।
सात कोस कौ देवता, मत कहु याहि पहाड़॥
लीला-रस में सम्मिलित, दर्शनीय गिरिराज।
ब्रज की परम विभूति हैं, गोवर्धन महाराज॥

ब्रज-बसुधा के बीच बिराजत गिरि गोवर्धन।
श्याम-सुचिक्कन शिला तरु-लता सघन सुहावन।
चहुँदिसि सरवर-ताल अनेकन वन अरु उपवन।
वापी-कूप-तड़ाग अमिय जल पिबत भक्तजन।
मध्य मानसी गंग घाट छतरी अति सुंदर।
संत जपत हरि-नाम बैठ गिरि कंदर अंदर।
चन्द्र सरोवर जँह कियो सूरदास नैं बास।
यहै परम रासस्थली जन्म लियौ कवि ‘व्यास’।
जयति गोवर्धनधर प्रभु॥

रावन के दादा पुलस्त्य ऋषि ब्रज में लाए।
जब काशी लै चले, जमे नहिं उठे उठाए॥
तिल-तिल कर नित घटूँ मतौ गिरिराज उचारौ।
कलजुग आवै घोर, लोप है जाय हमारौ।
कृष्ण उठाए उठे, इन्द्र कौ मान मिटायौ।
श्याम-रूप ह्‌वै पुजे, जौन माँग्यौ फल पायौ।
सात कोस की परिक्रमा चढ़त दूध और फूल।
लोट-लोट सिर धरत हैं भावुक ब्रज की धूल।
जयति गोवर्धनधर प्रभु॥

सुर पूजैं नखत लै, नर पूजैं आखत लै,
मुनि गंधर्व पूजैं, ताल-सुर बाजैं लै।
मगन महेस पूजैं, गगन सुरेस पूजैं,
पगन गनेस पूजैं, रिद्धि-सिद्धि साजैं लै।
सारद सुजान पूजैं, नारद महान पूजैं,
सकल जहान पूजैं, गान-गुन गाजैं लै।
गोपी-गोप-गाय पूजैं, ‘व्यास’ कवि धाय पूजैं,
बाबा नंदराय पूजैं, गोद ब्रजराजैं लै।

जय बिनु रूखन की पुहुप चढ़ावैं नित,
जय बिनु नालन की चरन पखारैं जो।
जय बिनु गायन की घंटिका बजावैं मंजु,
जय चाँद-तारन की आरती उतारैं जो।
जय बिनु मोरन की नाचैं घनस्याम पेखि,
जय घनस्यामन की पारत फुहारैं जो।
जय उन गोपिन की गावैं, गिरधारी-गान,
जय गिरिधारन की गिरिधर धारैं जो।

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