Hindi Poem of Gopaldas Neeraj’“Khag udte rehna jeevan bhar , “खग ! उडते रहना जीवन भर! ” Complete Poem for Class 10 and Class 12

खग ! उडते रहना जीवन भर! -गोपालदास नीरज

Khag udte rehna jeevan bhar –Gopaldas Neeraj

खग ! उडते रहना जीवन भर!

भूल गया है तू अपना पथ,

और नहीं पंखों में भी गति,

किंतु लौटना पीछे पथ पर अरे, मौत से भी है बदतर।

 खग ! उडते रहना जीवन भर!

मत डर प्रलय झकोरों से तू,

बढ़ आशा हलकोरों से तू,

क्षण में यह अरि-दल मिट जायेगा तेरे पंखों से पिस कर।

 खग ! उडते रहना जीवन भर !

यदि तू लौट पडेगा थक कर,

अंधड़ काल बवंडर से डर,

प्यार तुझे करने वाले ही देखेंगे तुझको हँस-हँस कर।

 खग ! उडते रेहना जीवन भर !

और मिट गया चलते चलते,

मंजिल पथ तय करते करते,

तेरी खाक चढाएगा जग उन्नत भाल और आखों पर।

 खग ! उडते रहना जीवन भर !

 

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