Hindi Poem of Amitabh Tripathi Amit “Shahar mujhko tere sare muhalle yaad aate hai “ , “शहर मुझको तेरे सारे मुहल्ले याद आते हैं” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

शहर मुझको तेरे सारे मुहल्ले याद आते हैं
Shahar mujhko tere sare muhalle yaad aate hai

 

शहर मुझको तेरे सारे मुहल्ले याद आ्ते हैं
दुकाँ पर चाय की बैठे निठल्ले याद आते हैं

म्यूनिसपैलिटी के बेरोशन चराग़ों की कसम मुझको
उठाईगीर जेबकतरे चिबिल्ले याद आते हैं

तबेलों और पिगरी फार्म का अधिकार पार्कों पर
खुजाती तन मिसेज डॉग्गी औऽ पिल्ले याद आते हैं

मैं हाथी पार्क के हाथी पे रख कर हाथ कहता हूँ
नवोदित प्रेम के कितने ही छल्ले याद आते हैं

वो इन्वर्टर का अन्तिम साँस लेकर बन्द हो जाना
जब आई रात में बिजली तो हल्ले याद आते हैं

सड़क के उत्खनन को भूल से यदि भूल भी जाऊँ
तो टूटे दाँत और माथे के गुल्ले याद आते हैं

गुज़रता है कभी जब काफ़िला नव-कर्णधारों का
मुझे सर्कस के जोकर से पुछल्ले याद आते हैं

सिविल लाइन्स में है मॉल-ओ-मल्टीप्लेक्स की दुनियाँ
के दिन ढलते खिलीबाँछों के कल्ले याद आते हैं

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