Hindi Poem of Mahadevi Verma “Uttar ”, “उत्तर ” Complete Poem for Class 10 and Class 12

उत्तर -महादेवी वर्मा

Uttar – Mahadevi Verma

 

इस एक बूँद आँसू में,
चाहे साम्राज्य बहा दो,
वरदानों की वर्षा से,
यह सूनापन बिखरा दो;

इच्छाओं की कम्पन से,
सोता एकान्त जगा दो,
आशा की मुस्काहट पर,
मेरा नैराश्य लुटा दो ।

चाहे जर्जर तारों में,
अपना मानस उलझा दो,
इन पलकों के प्यालो में,
सुख का आसव छलका दो;

मेरे बिखरे प्राणों में,
सारी करुणा ढुलका दो,
मेरी छोटी सीमा में,
अपना अस्तित्व मिटा दो!

पर शेष नहीं होगी यह,
मेरे प्राणों की क्रीड़ा,
तुमको पीड़ा में ढूँढा,
तुम में ढूँढूँगी पीड़ा!

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