Hindi Poem of Pradeep “Uttar dakshin purab pashchim, “उत्तर दक्षिण पूरब पश्चिम” Complete Poem for Class 10 and Class 12

उत्तर दक्षिण पूरब पश्चिम

Uttar dakshin purab pashchim

 

उत्तर दक्षिण पूरब पश्चिम

जिधर भी देखूं मैं

अंधकार अंधकार

अँधेरे में जो बैठे हैं

नज़र उन पर भी कुछ डालो

अरे ओ रौशनी वालो

बुरे इतने नहीं हैं हम

जरा देखो हमे भालो

अरे ओ रौशनी वालो

कफ़न से ढँक कर बैठे हैं

हम सपनो की लाशो को

जो किस्मत ने दिखाए

देखते हैं उन उन तमाशों को

हमे नफरत से मत देखो

जरा हम पर रहम खालो

अरे ओ रौशनी वालो

हमारे भी थे कुछ साथी

हमारे भी थे कुछ सपने

सभी वो राह में छूटे

वो सब रूठे जो थे अपने

जो रोते हैं कई दिन से

जरा उनको भी समझा लो

अरे ओ रौशनी वालो

अँधेरे में जो बैठे हैं

नज़र उन पर भी कुछ डालो

अरे ओ रौशनी वालो

 

 

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