Hindi Poem of Makhan Lal Chaturvedi “Kya Aakash utar aaya hai , “क्या आकाश उतर आया है ” Complete Poem for Class 10 and Class 12

क्या आकाश उतर आया है -माखन लाल चतुर्वेदी

Kya Aakash utar aaya hai – Makhan Lal Chaturvedi

 

क्या आकाश उतर आया है,
दूबों के दरबार में,
नीली भूमि हरि हो आई,
इस किरणों के ज्वार में।

क्या देखें तरुओं को, उनके
फूल लाल अंगारे हैं,
वन के विजन भिखारी ने,
वसुधा में हाथ पसारे हैं।

नक्शा उतर गया है, बेलों
की अलमस्त जवानी का
युद्ध ठना, मोती की लड़ियों
से दूबों के पानी का।

तुम न नृत्य कर उठो मयूरी,
दूबों की हरियाली पर,
हंस तरस खायें, उस –
मुक्ता बोने वाले माली पर।

ऊँचाई यों फिसल पड़ी है,
नीचाई के प्यार में,
क्या आकाश उतर आया है,
दूबों के दरबार में?

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