Hindi Poem of Om Prabhakar “  Drishya ghati me”,”दृश्य घाटी में” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

दृश्य घाटी में

 Drishya ghati me

 

बीत गए दिन

फूल खिलने के।

होती हैं केवल वनस्पतियाँ

हरी-हरी-सी

हर गली

हर मोड़ पर बैठी

मौत अपनी बाँह फैलाकर।

बर्फ़-सा

जमता हुआ हर शख़्स

चुप्पियों में क़ैद हैं साँसें,

समय की नंगी सलीबों पर

गले में अटकी हुईं फाँसें,

लिख रहे हैं

लोग कविताएँ

नींद की ज्यों गोलियाँ खाकर।

बीत गए दिन

अब हवाओं में गन्धकेतु हिलने के

फूल खिलने के।

ढोती है काले पहाड़ दृष्टियाँ

सूर्य झर गए,

दृश्य घाटी में गहरे उतर गए,

बीत गए दिन

उठी बाँहों से बाँहों के मिलने के

फूल खिलने के।

 

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