Hindi Poem of Purnima Verman “Hari Ghati“ , “हरी घाटी” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

हरी घाटी
Hari Ghati

फिर नदी की बात सुन कर
चहचहाने लग गई है

यह हरी घाटी हवा से बात कर के
लहलहाने लग गई है

झर रहे
झरने हँसी के

उड़ रहे तूफ़ान में स्वर
रेशमी दुकूल जैसे

बादलों के चीर नभ पर
और धरती रातरानी को

सजाने लग गई है
यह हरी घाटी हवा से बात कर के

महमहाने लग गई है
गाड़ कर

पेड़ों के झंडे
बज रहे वर्षा के मादल

आँजती वातायनों की
चितवनों में सांझ काजल

और बूँदों की मधुर आहट
रिझाने लग गई है

यह हरी घाटी हवा से बात कर के
गुनगुनाने लग गई है

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