Hindi Poem of Pratibha Saksena “  Gangiya ri ati door samunder”,”गंगिया री, अति दूर समुन्दर” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

गंगिया री, अति दूर समुन्दर

 Gangiya ri ati door samunder

 

नैहर की सुधि आई, हो गंगिया नैहर की सुधि आई!

बिछुड़ गईं सब बारी भोरी! 

संग सहिलियां आपुन जोरी

ऊँचे परवत जनमी काहे नीचे बहि आई!

उछल-बिछल, बल खाइत, विरमत खेलत आँख-मिचौली

वन घाटिन में दुकि इठलाइत, खिलि-खिल संग सहेली

नीर भरी छल-छल छलकाइत,

पल-पल मुड़ि-मुड़ि देखति .

बियाकुल लहर हिलोरत पल पल कइसन समुझाई!

परवत पितु की गोद, हिमानी आँचल केरी छाया,

इहाँ तपत तल, बहत निमन मन सहत,छीन भई काया .

सिकता सेज, अगम पथ आगिल,

नगर-गाम वन अनगिन,

गंगिया री अति दूर समुन्दर कइसन सहि पाई!

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