Hindi Poem of Raskhan “ Manus ho to vahi – 1, “मानुस हौं तो वही – 1” Complete Poem for Class 10 and Class 12

मानुस हौं तो वही – 1

 Manus ho to vahi – 1

 

कर कानन कुंडल मोरपखा उर पै बनमाल बिराजती है

मुरली कर में अधरा मुस्कानी तरंग महाछबि छाजती है

रसखानी लखै तन पीतपटा सत दामिनी कि दुति लाजती है

वह बाँसुरी की धुनी कानि परे कुलकानी हियो तजि भाजती है

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